एक व्यक्ति के बारे में ये प्रसिद्ध था कि कुछ भी हो जाये और केसी भी परिस्थितियाँ क्यों न हो उस व्यक्ति को क्रोध नहीं आता है | ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी होते है जिन्हें बुरी बातों के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है | ऐसे व्यक्तियों में से किसी एक ने निश्चय किया वो उसे किसी भी रीति से पथ से भ्रष्ट करके रहेगा |


वह लग गया अपने काम में | इस प्रकार उसने अपने जैसे लोगो की एक टोली बना ली और उसने उस सज्जन के नौकर से कहा कि तुम किसी तरह अगर अपने स्वामी को उकसा सको तो मैं तुम्हे इनाम दूंगा | नौकर तेयार हो गया और वह एक बात भी जानता था कि उसके स्वामी को सिकुड़ा हुआ बिस्तर जरा भी अच्छा नहीं लगता है | इसलिए उस रात उसने बिस्तर ठीक ही नहीं किया | तो प्रात:काल होने पर स्वामी ने नौकर को केवल इतना कहा कि कल रात बिस्तर ठीक था तो नौकर ने बहाना बनाते हुए कहा कि मैं गलती से भूल गया था | भूल तो नौकर ने की ही नहीं तो सुधरता कैसे | इसलिए उसने अगले दो तीन दिन भी बिस्तर को ठीक नहीं किया |
आखिर में स्वामी ने नौकर से कहा लगता है तुम बिस्तर ठीक करने के काम से ऊब गये हो और चाहते हो कि मेरी ये आदत छूट जाए पर कोई बात नहीं अब मुझे सिकुड़े हुए बिस्तर पर सोने की आदत पड़ती जा रही है |